रिश्ते (कविता – अभिव्यक्ति ब्लॉग से)
बड़े अजीब होते है ये रिश्ते
कुछ बने बनाये मिलते हैं
तो ,कुछ बन जाते हैं
और कुछ बनाये जाते हैं
स्वार्थपूर्ति के लिए
कैसे भी हों ,आखिर रिश्ते तो रिश्ते हैं
बड़े नाजुक से
संभालना पड़ता है इन्हें
बड़े जतन से
लगाना पड़ता है
शुभा मेहता सितम्बर 2013 से ब्लॉगिंग कर रही है और बचपन से ही पढ़ने की शौकीन है। उनके प्रोफाइल के अनुसार शुभा जी कहती है कि मैं अपने जीवन की छोटी छोटी अनुभूतियों को कविताओं और लेखों में पिरोने की कोशिश करती हूँ।
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